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राजनैतिक ताकत पहचानने वाले कोई मामूली व्यक्ति नही थे कांशीराम Outcaste India

बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम जी का सफर नामा 



जीवन परिचय :-

जन्म - 15 मार्च, 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के ख्वासपुर गांव में दलित (सिख समुदाय के रैदसिया) परिवार में हुआ.
माता-पिता– बिशन कौर और हरी सिंह
शिक्षा- स्नातक (रोपड़ राजकीय कालेज, पंजाब विश्वविद्यालय)
नौकरी- डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ)

सामाजिक प्रेरणा स्रोत:


नौकरी के दौरान जातिगत भेदभाव से आहत होकर अपने कार्यालय के साथी दीना भाना के जज्बे को देखकर बाबासाहेब डॉ0 भीमराव आँबेडकर, महामना ज्योतिबा फुले और पेरियार के जीवन  दर्शन को गहनता से अध्ययन कर दलितों को एकजुट करने में जुटे.

-पंजाब के एक चर्चित विधायक की बेटी का रिश्ता आया लेकिन दलित आंदोलन के हित में उसे ठुकरा दिया.
– बुद्धिस्ट रिसर्च सेंटर की स्थापना की.
– मान्य.कांशीराम जी की पहली ऐतिहासिक किताब ‘द चमचा ऐज’(अंग्रेजी) 24 सितंबर 1982 को प्रकाशित हुआ.
पे बैक टू सोसाइटी के सिद्धांत के तहत दलित कर्मचारियों को अपने वेतन का 10वां हिस्सा समाज को लौटाने का आह्वान किया.

राजनितिक व सामाजिक सफरनामे की शुरुआत:-



-सबसे पहले बाबा साहेब द्वारा स्थापित पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सक्रिए सदस्य बनें.

-1971 में पूना में आरपीआई और कांग्रेस के बीच गैरबराबरी के समझौते और नेताओं के आपसी कलह से आहत होकर पार्टी से इस्तीफा.

-बामसेफ -1964 में 6 दिसंबर 1978 को ‘बामसेफ’का विधिवत गठन किया. कांशीराम का मानना था कि आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी नौकरी में पहुंचा वर्ग ही शोषितों का थिंक, इंटलैक्चुअल और कैपिटल बैंक यही कर्मचारी तबका है. दलितों की राजनीतिक ताकत तैयार करने में बामसेफ काफी मददगार साबित हुआ.

राजनितिक मुहिम की शुरुआत:-

दलितों को एकजुट करने और राजनीतिक ताकत बनाने का अभियान 1970 के दशक में शुरू किया.

दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस-4) – दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय को जोड़ने के लिए उन्होंने डीएस-4 का गठन किया. इसकी स्थापना 6 दिसंबर 1981 को की गई.
 डीएस-4 के जरिए सामाजिक, आर्थिक बराबरी का आंदोलन आम झुग्गी-झोपड़ी तक पहुंचाने में काफी मदद मिली. इसको सुचारु रूप से चलाने के लिए महिला और छात्र विंग में भी बांटा गया. जाति के आधार पर उत्पीड़न, गैर-बराबरी जैसे समाजिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता और बुराइयों के खिलाफ आंदोलन करना डीएस-4 के एजेंडे में रहे. डीएस-4 के जरिए ही देश भर में साइकिल रैली निकाली गई.

भारत की तीसरे नम्बर की पार्टी का सफरनामा:-

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) - 14 अप्रैल, 1984 को बसपा का गठन. सत्ता हासिल करने के लिए बनाया गया राजनीतिक संगठन.
– 1991 में पहली बार यूपी के इटावा से 11वीं लोकसभा का चुनाव जीते.
– 1996 में दूसरी बार लोकसभा का चुनाव पंजाब के होशियारपुर से जीते.
– 2001 में सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर कुमारी मायावती को उत्तराधिकारी बनाया.
परिनिर्वान:-

-23 सितम्बर,2003 में लकवाग्रस्त होने के बाद सक्रिय राजनीति से दूर चले गए.
– 9 अक्टूबर, 2006 को दिल्ली में अंतिम सांस ली.

साहित्यिक योगदान:-

कांशीराम ने निम्नलिखित पत्र-पत्रिकाएं शुरू की—

अनटचेबल इंडिया (अंग्रेजी)
बामसेफ बुलेटिन (अंग्रेजी)
आप्रेस्ड इंडियन (अंग्रेजी)
बहुजन संगठनक (हिन्दी)
बहुजन नायक (मराठी एवं बंग्ला)
श्रमिक साहित्य
शोषित साहित्य
दलित आर्थिक उत्थान
इकोनोमिक अपसर्ज (अंग्रेजी)
बहुजन टाइम्स दैनिक
बहुजन एकता

सम्पूर्ण योगदान एक नजर में:-

कांशीराम जी पहले ऐसे व्यक्ति थे जिसने शोषित समाज की निष्क्रिय रही राजनितिक चेतना को जागृत किया था. बाबा साहब ने संविधान के माध्यम से शोषित समाज के लिए विकास के लिए बंद दरवाजे खोल दिए थे, लेकिन इस विकास रूपी दरवाजे के पार पहुचाने का कार्य मान्यवर ‘कांशीराम’ जी ने किया था. बाबा साहब ने दलितों को मनोबल प्राप्त करने का आह्वान किया, कांशीराम जी ने समाज को ‘मनोबल’ प्राप्त करने के लिए मजबूर किया. कांशीराम जी उन महान पुरषों में से है जिन्होंने व्यक्तिगत ‘स्वार्थ’ की जगह समाज के हित के लिए कार्य किया, अपनी माँ को लिखी चिठ्ठी में मान्यवर कांशीराम जी ने ‘शोषित समाज’ को ही अपना परिवार बताया.


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