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भूख और कुपोषण पर बोल रहे बेल्जियम के एक्टिविस्ट को झारखंड में किया गिरफ्तार

कौन हैं ज्यां द्रेज,क्या किया है उन्होंने




बेल्जियम में पैदा हुए जां द्रेज़ से मेरी  मुलाकात जम्मू में मेरी साइकिल यात्रा के दौरान हुई। बुद्ध ओर बाबा साहब की फोटो लगाकर डूबडबा बस्ती के लोगों से बातचीत के दौरान मुलाकात हुई चर्चा बहुत कम हो पाई पर भारत की समाजिक समस्याओं पर बहुत  गंभीर नजर आए
आज पता चला कि झारखंड पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया ओर अब भी कर रिहा कर दिया
 बीस बरस की उम्र में भारत आया ,यहाँ भारत से प्रेम में पड़ गया ,इसलिए नहीं कि यहाँ इसे शानोशौकत और आराम की ज़िन्दगी दिखी बल्कि इसलिए कि यहाँ इसे उन लोगों का हुजूम दिखा जो विश्व में सबसे अधिक गैर बराबरी की व्यवस्था में रहते हैं ,सामाजिक व्यवस्था हो,धार्मिक ,आर्थिक या जात पात।  अपनी पढाई भी भारत में पूरी की। मशहूर Delhi school of Economics में पढ़ाया भी ,कुछ किताबें लिखीं और फिर जुट गया उन लोगों की भूख मिटाने की व्यवस्था बनाने का खाका खींचने और पैरवी करने जिसमें एक गरीब मुसहर को भूख से न मरना पड़े सुदूर झारखण्ड में। इकोनॉमिक्स की दुनिया में इसकी आवाज़ नोबल पुरस्कार विजेताओं से कम ज़ोर नहीं रखती पर इस शख्स ने निस्स्वार्थ जीवन और एक ध्येय के लिए जीवन कैसे जियें ये दिखाया है।

कर लिया गया गिरफ्तार




आज गढ़वा में जां द्रेज़ को इसलिए गिरफ्तार किया गया झारखण्ड पुलिस द्वारा क्योंकि वो अनुमति के बिना सभी को भोजन के अधिकार और कुपोषण के विरुद्ध बोल रहे थे।

भूख और कुपोषण के ख़िलाफ़ बोलने के लिए अब उनकी इजाज़त लेनी पड़ेगी जिनके राज में सिंहभूम ज़िले के ७३ % बच्चे बुरी तरह कुपोषित पैदा होते हैं ,जहाँ गरीब आदिवासी बच्चियां भात -भात कहते अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं।
Amit bodhi
Research scholar

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