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कांग्रेस भाजपा को नही बल्कि बहुजन दलों को खत्म करना चाहती है

कांग्रेस मुख्य रूप से भाजपा को नही बल्कि गैर भाजपाई दलों को उखाड़ना चाहती है





अब यह लगभग साफ़ हो चुका है कॉंग्रेस किसी भी ऎसे राज्य में जहां दूसरे गैर भाजपा दल ताकतवर हैं जान पूछकर चुनावी तालमेल नहीं कर रही है जबकि पहले दौर की अधिसूचना जारी हो गई है. कॉंग्रेस की नीति है भले ही भाजपा आ जाए लेकिन मजबूत गैर भाजपा दलो के साथ समझौता नहीं करेंगें. 

चुनावों में देखने को मिला नया


इसका सबसे वीभत्स रूप पिछले विधानसभा चुनाव में असम में देखने को मिला, जब कॉंग्रेस ने अजमल बदरूद्दीन के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा और वहां भाजपा सरकार बनवा दी जिसने आज वहां सांप्रदायिकता का तांडव मचाया हुआ है. अगर कॉंग्रेस UADF से समझौता कर लेती तो बादरूद्दीन अजमल आज असम के मुख्यमंत्री होते और इतने महत्वपूर्ण राज्य में भाजपा न जीत पाती. एक तरफ राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में वह विपक्षी दलों से बात तक नहीं कर रही लेकिन दूसरी तरफ, कॉंग्रेस उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और दिल्ली जैसे राज्यों जहां उसकी कोई जमीन नहीं अधिक से अधिक सीटों की मांग कर  विपक्षी एकता को छिन भिन्न करने का प्रयास कर रही है. मानो कॉंग्रेस भाजपा से न लड़कर गैर भाजपाई दलो से अपनी मुख्य लड़ाई मानकर चल रही है, यह उसका नैसर्गिक मनुवादी चरित्र हैं.


कांग्रेस मुक्त जरूरी है भारत


गैर-भाजपा गैर-कॉंग्रेस दलो के लिए भाजपा मुक्त भारत से पहले कॉंग्रेस मुक्त भारत जरूरी है क्योंकि दोनों पार्टियां एक दूसरे को समय-समय पर खाद पानी देते रहते हैं.

प्रो० राजकुमार
दिल्ली यूनिवर्सिटी

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