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आपको दिक्कत है आरक्षण से मुझे दिक्कत है आपको इंसान मानने से।

आरक्षण क्या है



आरक्षण पर लिख रही हूँ पर आपकी कुंठाओ का जवाब नही दूंगी इसलिए बकवास करने से बचे।

आरक्षण वैसे तो सही शब्द ही नही।।सही शब्द है प्रतिनिधित्व। उनका प्रतिनिधित्व जिनका नही करने दिया आपके कुलषित धर्म ने इस समाज और देश मे।

उनका प्रतिनिधित्व जिन्हें आपके धर्म ने शुद्र, अति शुद्र, पिछड़ा, आदिवासी, असुर और न जाने क्या क्या संज्ञा दी कर मुख्य धारा से तोड़े रखा ताकि आप कुछ मुट्ठी भर सवर्ण भारत के हर संसाधन का दोहन कर सके।

ताकि आप कुछ सवर्ण इंसानो को जानवरों से भी बदत्तर जीवन जीने पर मजबूर कर सके और उनका, उनकी औरतो का, उनके बच्चो का मन माफिक इस्तेमाल कर सके।

आपकी हवस, आपकी वहशत, आपकी क्रूरता है आपकी वर्ण व्यवस्था, आपका हिन्दू धर्म।

आपने सदियो तक उन्हें दूर रखा शिक्षा से, आपने उन्हें दूर रखा किसी भी सामाजिक सम्मान से। आपने उनका क्रूरतम तरीके से इस्तेमाल किया। उस सब से आगे बढ़ इंसान बनने और इंसानो सा जीवन जीने देने की एक छोटी सी कोशिश है आरक्षण रूपी प्रतिनिधित्व।


आप खत्म करना चाहते हैं उसे ताकि आप फिर से इस्तेमाल कर सके इंसानो को भेड़ बकरियो की तरह।


पूरी दुनिया में लोगो ने अविष्कार किये, वाशिंग मशीन बनाई आपने एक जाति ही बना दी जो आपके गंदे कपड़े धोये और ऊपर से तुर्रा यह कि तुम्हारा तो जन्म ही कपड़े धोने को हुआ।

दुनिया मे ट्रेक्टर बने खेती के औजार बने आपने फिर एक जाति बना दी जो आपके खेतो में जानवर सी लगी रहे और उपजा कर दे सोना आपको।

आज की डेट में दुनिया मे हजारो व्यवस्था है नालियां ओर गटर साफ करने की आप आज भी इंसानो को गटर में धकेल देते हो और वो सिर तक आपकी टट्टी में डूब उसे साफ करते और जब आप देखते उन्हें वो करते तो नाक भों सिकोड़ कर उनपर थूकते हुए निकल जाते।

शर्मनाक है आपकी इंसानियत, यदि उसके बाद भी आप कह पाते कि आपका धर्म इंसानियत सिखाता।

नीचता की पराकष्ठा है वो धर्म जो टिका है दूसरे इंसान के मुर्दा जिस्म पर नही मुर्दा रूहो पर।

आपको दिक्कत है आरक्षण से मुझे दिक्कत है आपको इंसान मानने से।

विनीता सहगल

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