हिन्दू कोड बिल पर चुनौती दी थी इस साधु ने,डॉ. आंबेडकर ने सुनाई थी खरी खरी
बाबासाहेब डॉ आंबेडकर और साधु करपात्री महाराज
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बाबासाहेब जब हिन्दू कोड बिल तैयार करने में लगे थे तब बनारस के सबसे बड़े धर्मगुरु स्वामी करपात्री महाराज उर्फ हरिनारायण ओझा उर्फ हरिहरानन्द सरस्वती, जिन्होंने अखिल भारतीय रामराज्य परिषद नामक एक राजनैतिक दल की स्थापना की थी जिसने 1952 में लोकसभा के प्रथम आम चुनाव में 03 सीटें जीतीं थी, ने बाबासाहेब को बहस करने की चुनौती दे डाली। करपात्री ने कहा, डॉ0 अम्बेडकर एक अछूत हैं वे क्या जानते हैं हमारे धर्म के बारे मे, हमारे ग्रन्थ और शास्त्रों के बारे में, उन्हें कहाँ संस्कृत और संस्कृति का ज्ञान है ? यदि उन्होंने हमारी संस्कृति से खिलवाड़ किया तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। करपात्री महाराज ने डॉ0 अम्बेडकर को इस पर बहस करने हेतु पत्र लिखा और निमंत्रण भी भेज दिया। फिलवक्त उस समय करपात्री महाराज दिल्ली में यमुना के किनारे निगम बोध घाट पर एक आश्रम में रहते थे।
शालीन स्वभाव के थे डॉ आंबेडकर
डॉ० आंबेडकर ने लिखा था कड़ा जवाब
बाबासाहेब ने उसी रूप में जवाब देते हुए कहा कि मैं साधू, सन्तों का सम्मान करता हूँ। उनके तप और त्याग का आदर करता हूँ लेकिन फिलहाल जिनसे मैं पत्राचार कर रहा हूँ वे साधु कहाँ रहे हैं? वे राजनेता हो गए हैं वरना हिन्दू कोड बिल से किसी साधू को क्या लेना देना हो सकता है ? एक ऐसा बिल जिसमें महिलाओं को भी सम्पत्ति रखने का अधिकार मिले, तलाक और विधवा विवाह का अधिकार मिले ? इसमें मुझे तो कोई बुराई नजर नहीं आती इसलिए मेरी नजर में आप राजनीति कर रहे हैं और राजनीतिक लिहाज से आप शायद भूल रहे हैं कि मैं वर्तमान समय में भारत का कानून मंत्री हूँ और एक मंत्री के रूप में मैं किसी ऐसी जगह नही जा सकता हूँ जहां जनता का हित न हो या लोकतंत्र का अपमान हो। यह पढ़कर करपात्री महाराज अचंभित हुए और बाबा साहेब को पुनः एक और पत्र लिखा जिसमें वे बाबासाहेब से मिलने को राजी हुए लेकिन कभी मिलने नही आये। ऐसे थे बाबा साहेब डॉ0 अम्बेडकर और एक आज के नेता हैं जिन्हें हम अपना नेता कहते हैं। जब तक धर्म और राजनीति दोनों को अलग-२ न किया जाय तब तक इस देश का कुछ भी भला नहीं हो सकता, यह एक अटल सत्य है।
(सोहनलाल शास्त्री, विद्यावाचस्पति द्वारा लिखित व सम्यक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक बाबासाहेब डॉ0 आंबेडकर के सम्पर्क में पच्चीस वर्ष )
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