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स्त्रियों का अपमान है होली,फिर भी भारत के लोग उनका अपमान करते हैं

मिथकों के अनुसार दरअसल होलिका अनार्यों के राजा हिरण्यकश्यप की बहन थी, उस हिरण्यकश्यप की जिसे आर्यों द्वारा धोखे से मार दिया गया था। 




लेकिन भारत का इतिहास आर्यों के आक्रमण और यहाँ के स्थानीय निवासी द्रविड़ों के संघर्ष और द्रविड़ों की पराजय का इतिहास है जिसमें विजेता आर्यों को देव् और पराजित द्रविड़ों को असुर, दस्यु, राक्षष कहकर संबोधित किया गया। इन्हीं मिथकों के अनुसार हिरण्यकश्यप असुरों का राजा था जो भगवान को नहीं मानता था लेकिन कहीं भी यह नहीं लिखा है कि हिरण्यकश्यप के खिलाफ प्रजा में विद्रोह था इसीलिए विष्णु को उसे खत्म करने के लिए उसके खिलाफ उसके पुत्र प्रल्हाद के अलावा कोई नहीं मिला। तब नारद ने प्रल्हाद को विष्णु भक्ति में और अपने पिता हिरण्यकश्यप के खिलाफ तैयार किया लेकिन प्रल्हाद अपने पिता को मारने के लिए तैयार नहीं हो पाया लेकिन वह अपने पिता का और इस तरह तमाम असुर जाति का दुश्मन जरूर बन गया। मिथकीय गाथाओं के अनुसार तब हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रल्हाद को आग में लेकर बैठ गई क्योंकि उसे आग में न जलने का वरदान था। लेकिन इस आग में होलिका जल गई और प्रल्हाद सकुशल बच गया। अब यह सवाल लाज़िमी है कि होलिका वरदान के बावजूद जल गई और प्रल्हाद बच गया। दरअसल यह पंडावादी ग्रन्थों के लेखक ब्राह्मणों को मिथ्याप्रचार ही है क्योंकि हम आज भी देखते हैं कि होलिका को बाहर से आग लगाई जाती है। सीता को एक साल रावण की कैद में रहने के बावजूद अपने चरित्र की शुचिता को साबित करने के लिए अग्निपरीक्षा देनी पड़ी। 

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